''जागो ग्राहक जागो'' अब तो यह जूमला सभी की जुबान पर चढ़ गया होगा आखिर isaka इतना प्रचार जो हुआ है। आपने पक्का बिल बनाकर दिया वाला प्रचार तो देखा ही होगा। चलो आपको कुछ दिन पहले की घटना बताती हू। मै मेडिकल से कुछ दबाइया खरीद रही थी। मेडिकल पर काफी भीड़ थी मुझे भी कोई जल्दी नहीं थी फिर क्या था। दूकान पर कुछ भीड़ कम होने पर मैंने दबा का पर्चा दूकानदार के हाथो मै थमा दिया। वैसे अब मै अधिकतर सामान का पक्का बिल लेने ही लगी हू और मुझे आज भी याद था की मुझे pakkaa बिल लेना ही है अब मेडिकल स्टोर वाले ने दबाये एक पोली बेग मै डाली और एक प्लेन लेटर पेड पर dabaavo का हिसाब लगाना शुरू कर दिया और उसने वही पर्चा फाड़कर मुझे पकडा दिया। मैंने तुंरत बोला भैया पक्का बिल बनाकर दीजिये। मेरे दिमाग मै दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले एड घूम रहे थे। अब तो देखने लायल कुछ था तो दूकान दार का चेहरा वैसे अब उसकी दूकान से भीड़ भी छट गई थी। सो मै तो इत्मीनान से खड़ी थी। पक्का बिल का नाम सुनते ही दूकानदार तो जैसे तिलमिला गया हो। उसने पहले अपनी दुकान के नाम का एक लेटर पैड निकला फिर बोला ये चलेगा या इससे भी पका वाला बनाऊ इससे pakkaa वाला आप रखते है और उसने एक और लेटर पैड निकाला और उसने दबा के नाम मात्रा लिखकर तब बिल बनाकर दिया। २ सेकेण्ड को तो मुझे लगा जैसे मैंने pakkaa बिल बनकर देने की कहकर कोई गलती कर दी हो और वह मुझ पर एहसान कर रहा हो। मुझे अभी तक ये समझ नहीं आया की अपनी दूकान के नाम का लेटर पैड पर बिल बनाकर देने मै उसका क्या जाता है आखिर बिल तो उसे बनाना ही है। शायद उसको इस बात का डर था की वह किसी को गलत दबा देगा और ग्राहक उसके पास फिर आएगा लेकिन वह उस पर्चे को नकार नहीं पायेगा । अब तो ग्राहकों को ही चेतन अवस्था मै आना होगा नहीं तो कोई न कोई दूकानदार आपको पागल बना ही देगा।
भाषा के प्रति अंबेडकर का राष्ट्रीय दृष्टिकोण
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बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर और उनकी पत्रकारिता
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2 हफ़्ते पहले
gwalior ki pratibhaon ko dekh kar hamesha acccha lagta hai. des-dunia main gwalior ki pratibhaye bikhari hui hain. hindustan ke har shahar main unki kefi sankhya hai, lekin ek sath kanhi nahi dikhte hai. blog yah kam kar raha hai.
जवाब देंहटाएंpatrakarita ka proffession dunia main sabse mushkil hai. main bhi isi shahar se hoon. patrakarita se do dashak purana atoot rishta hai.
blog ke liye subhkamnaye.
R.N.SHRIVASTAVA
rns3502@yahoo.co.in
अच्छा लेख है,
जवाब देंहटाएंजागरूकता समाज में तभी आती है जब हम ख़ुद जागरूक होते हैं ऐसे परिस्थितिया तो अक्सर आती हैं जब आप कोई भी काम लीक से हट कर करना चाहें..........बहुत बहुत बधाई इस लेख के लिए
पहली बार आया .... क्या खूब लिखती हैं आप. wakai लाजवाब. ............
जवाब देंहटाएंएक जागरूक समाज ही स्वस्थ समाज साबित हो सकता है। इस प्रेरणाप्रद लेख के लिए आभार।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया! ब्लाग जगत में आपका स्वागत है। हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंdhanyawad. mere blog pr aane ke liye aapka beskimti comment mujhe likhne men kafi sahayk sidh hoga. again thanks.
जवाब देंहटाएंbahut achcha baat hai ki jab hum apne anubhav se se shikte hai. nice blog.
जवाब देंहटाएंमुझे पहले से ही पता था कि आप बहुत अच्छा लिखती हो, आपकी "मन पंछी है" को पड़ा था तभी समझ गया था.
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर पधारने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन पोस्ट.....सचमुच जागरूक समाज ही एक सुदृ्ड राष्ट्र के निर्माण में सहायक हो सकता है.
जवाब देंहटाएंअच्छा लगा आपका ब्लाग देखकर... ये बेहद जरूरी है कि हम अपने विचार, अपने ब्लाग के जरिए सभी तक पहुंचा सकते है... कम से कम हम लिखकर खुद को तो संतुष्ट कर ही सकते हैं... आपको बहुत बधाई... प्रमोद, दिल्ली आजतक.
जवाब देंहटाएंpramodpandey.blogspot.com
pramodpandey20@gmail.com
bagair jagrukta ke ek shishil aur sabhya samaaj ki sthapnaa nahi ho sakti......aapne achha prayas kiya hai.
जवाब देंहटाएंदूकानदार पक्का बिल देने से सिर्फ इसलिए मना नहीं करते हैं की सामान ख़राब होने पर वे मुसीबत में पद सकता है बल्कि ऐसा करके वे सरकार को आयकर और बिक्री कर में लाखों का चूना लगाते हैं. अगर सभी ग्राहक पक्का बिल लेने पर जोर देने लगें तो देश के खजाने में भारी रकम बढ़ सकती है और देश समृद्ध हो सकता है.
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