आज आपको कला संस्कृति की रंगीन छटा का अनुभव कराती हूँ मैंने ये रंगीन नजारा ग्वालियर मैं होने वाले युवा उत्सव मैं देखा। तानसेन की नगरी मैं जहाँ दिसम्बर माह मैं स्वरलहरिया गूंजती है वही जनवरी माह मैं युवा उत्सव की चहल पहल रहती है। इस बार राज्यस्तरीय युवा उत्सव का आयोजन १४ से १६ जनवरी तक जीवाजी विश्वविद्यालय मैं किया गया। तीन दिवसीय इस म्रगनयनीयुवा उत्सव मैं भाग लेने मध्य प्रदेश के सात अलग अलग जिलों से आठ विश्वविद्यालयों के छात्रों की टीम आई। जिसमे दो विश्वविद्यालय के छात्रों की टीम हमारे ग्वालियर शहर से ही थी। इस उत्सव को २५ प्रतियोगिताओ के साथ विश्वविद्यालय परिसर मै तीन अलग अलग जगहों पर सम्पन्न किया गया। जिसमे राजनीति विभाग, गालव सभागार और विवेकानंद उद्यान में तीन दिन उत्सवीय माहौल रहा।
युवा उत्सव का प्रथम दिन ---युवा उत्सव के प्रथम दिन की शुरूआत सभी विश्वविद्यायल के छात्रों ने प्रभात फेरी निकाल कर की । प्रबंधकीय विभाग से चली यह रैली सम्पूर्ण विश्वविद्यायल को अपने रंग मैं रंगते हुए विवेकानंद उद्यान पहुची। इस रैली मैं सभी विश्वविद्यायल के छात्र भिन्न-भिन्न प्रान्तों के भिन्न-भिन्न परिधानों मैं नजर आ रहे थे। ये संस्कृति का संगम अनेकता मैं एकता की सीख दे रहा था। छात्रों ने विवेकानंद उद्यान को इन्द्रधनुषीय रंगों से सराबोर कर दिया था। सभी छात्रों का उत्साह देखते बनता था। विवेकानंद उद्यान मैं आकर भी सभी जोशीले प्रतिभागियों ने मंच के सामने करतब दिखाकर ही अपना स्थान ग्रहण किया। इसके बाद उदघाटन समारोह का आयोजन किया गया जो शायद सभी दर्शको को बोझिल लग रहा था। अब आपको मुख्य अतिथि के बारे मैं तो बताये ही देते है। कार्यक्रम मैं मुख्यातिथि के रूप मैं एल. एन.यू. पी. ई. के कुलपति रिटायर्ड मेजर जनरल एस. एन. मुखर्जी मौजूद थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता जीवाजी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर ऐ. के. कपूर द्वारा की गई जबकि कार्यक्रम का संचालन विश्वविद्यालय के कुलसचिव डा. डी. एस. चंदेल ने किया। वैसे कार्यक्रम के प्रारंभ मैं होने वाली सरस्वती बंदना ने दर्शकों की उत्सुकता को बनाए रखा था अब इस कार्यक्रम की औपचारिकता को पूरा करके कार्यक्रम के अंत मैं फिर से सांस्कृतिक प्रस्तुतिया दी गई जिसकी शुरूआत देश भक्ति गीत "भारत के कण कण मैं अंकित " के साथ हुई। इसके बाद विश्वविद्यालय की छात्रा हर्षिता कात्रे ने अपने गीतों से श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया जिसमे "सत्यम शिवम् सुन्दरम" और गजल "मेरा कुछ सामान तुम्हारे पास है " की बेहतरीन प्रस्तुति दी । दोनों ही गीत ऐसे थे जो श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर रहे थे । देश भक्ति गीत, फ़िल्मी संगीत के बाद पाश्चात संगीत ने भी लोंगो को बांधे रखने का काम किया। इसके बाद कुछ छात्राओं द्वारा राजस्थानी लोक नृत्य कालबेलिया की प्रस्तुति दी गई। जिसने सभी दर्शको को थिरकने पर मजबूर कर दिया। अंत मै एक मणिपुरी नृत्य की प्रस्तुति ने भारत की एक और संस्कृति से परिचित कराया। इस कार्यक्रम की समाप्ति के बाद विश्वविद्यालय के तीनो स्थानों पर अलग अलग प्रतियोगिताओ का आयोजन किया गयाएक और जंहा विवेकानंद उद्यान मै युवाओ ने शास्त्रीय संगीत मै अपनी अभिरुचि का परिचय दिया वही दूसरी और छात्रो द्वारा गालव सभागार मै माईम प्रतियोगिता के अंतर्गत मूक अभिनय की बेहतरीन प्रस्तुतिया दी गई। वही विश्वविद्यालय के एक और स्थान राजनीति विभाग मै छात्रो ने प्रश्न मंच मै भाग लेकर अपने अच्छे बौद्धिक स्तर का परिचय दे दिया । वही दूसरे चरण मै इन तीनो स्थानों पर क्रमशः वाद्य यंत्रो पर प्रस्तुति, अलग अलग शैलियों मै शास्त्रीय नृत्य और रंगोली प्रतियोगिताऑ में युवाओं ने बड़चढ़ कर हिस्सा लिया । इस प्रकार युवाओ की जोशीली प्रस्तुतियों से प्रथम दिन का समापन हुआ।
युवा उत्सव का द्वितीय दिन --- युवा उत्सव के दूसरे दिन की छटा भी निराली ही थी। इस दिन की शुरुआत विवेकानंद उद्यान में तबला बादन से हुई । जिसमे तबले और हर्मोनियाँ की जुगलबंदी ने श्रोतागढ़ओं का मन मोह लिया। वही यहाँ दूसरी पारी मै भारतीय एवं पश्चात् समूह गायन की प्रस्तुति दी गई। जबकि गालव सभागार मै चल रही बाद विवाद प्रतियोगिता मै विचारो का टकराव भी काफी उत्सावर्धक था। वक्तव्य कला और तात्कालिक भाषण मै भी छात्रों ने अपने अच्छे ज्ञान स्तर का परिचय परिचय दिया। लेकिन युवाओं की सच्ची अभिव्यक्ति तो लोक नृत्य मै ही दिखाई दी। विवेकानंद उद्यान मै जैसे ही लोक नृत्य की घोषणा हुई। उसी के साथ लोगो का हुजूम विवेकानंद परिसर मै जमा होता गया। कला संस्कृति का सच्चा संगम तो युवा उत्सव मै ही देखने को मिलाता है जंहा युवा वर्ग अपनी कला से भारत देश की संस्कृति से परिचित कराते है जिसमे वे कभी लोक नृत्य का सहारा लता है तो कभी नाट्य विधा के द्वारा एक सिख दे जाते है। वही ये युवा उत्सव युवाओ को प्रतिभाशाली बनाने मै मदद भी करते है। युवाओ को एकता की सिख देने का काम भी युवा उत्सव बखूबी निभाता है ।
युवा उत्सव का तीसरा दिन ----
तीसरे दिन की शुरुआत ठहाको के साथ हुई। ये ठहाको की आवाज पंडाल मै युवाओ द्वारा की गई मिमिक्री के कारण गूंज रही थी। वही पंडाल मै एक और युवा कागज पर पोस्टर कार्टून और पेंटिंग बना रंगों से भी एक बेहतर प्रतिभा का परिचय दे रहे थे। आज युवा उत्सव का तीसरा व् आखिरी दिन था। इसलिए इन प्रतियोगिताओ के बाद समापन कार्य क्रम का आयोजन की गया जिसमे अतिथियों के रूप मै ग्वालियर शहर के महार्पौर विवेक शेजवलकर और यहाँ की सांसद यशोधरा राजे सिंधिया उपस्थित थी । अब एक बार फ़िर कुछ चुने हुए सांस्कृतिक कार्यक्रमो की प्रस्तुति दी गई। ये सभी कार्यक्रम आज भी उतने ही मन भाबक लग रहे थे जितने की दो दिन पूर्व । इसके बाद सभी प्रतिभागी विश्वविद्यालयो का नेतृत्व करते हुए उनके शिक्षक व् छात्रो ने अपने तीन दिनों के अनुभव सबसे बाटे उन्हें देखकर लग रहा था की बाकई बिछड़ने का गम क्या होता है अब अंत मै दिल की धड़कन तेज कराने वाला समय आ गया था। सब को यही लग रहा था की किस विधा मै कौन सी टीम अपना ध्वज लहराएगी यहाँ ये भी बताया गया था की सबसे अधिक विधाओ मै जीत हासिल करने वाली के लिए दो अलग से ट्रोफिया रखी गई है। जैसे ही किसी टीम का नाम पुकारा जाता तो वे सभी उछल पड़ते जीत की खुशी उनके चहरे पर ही नही वल्कि उनके अंग अंग मै दिख रही थी। अंत मै प्रथम ट्राफी का हकदार जीवाजी विश्वविद्यालय ही रहा। आख़िर मै जहा एक और जीत की खुशी थी वही दूसरी और अपने मित्रो से पिछड़ने का गम भी था । और ये गम गले लग आँखों से क्षलक जाने वाले आशुओ से साफ़ दिखता था । और इस तरह कुछ रंग बिरंगी यादे छोड़ ये युवा उत्सव यहाँ से प्रस्थान कर गया।
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आशा है इस आयोजन के बारे में और पढने को मिलेगा
जवाब देंहटाएंइस देश की असली थाती युवा ही है आज का युवा प्रतिभा के मामले में अपने पूर्वजो को चुनोती देने लगा है इस युवा उअत्सव को देखकर स्वामी विवेकानंद का सपना साकार होते हुए दिखने लगा है
जवाब देंहटाएंniharika ji apne jivan ke anubhavon se ham sabko rubaru karane ke shukriya.
जवाब देंहटाएंshamikh.faraz@gmail.com
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Badia chitran hai.
जवाब देंहटाएंLagta hai jaise saamne hi ghata ho.
mam aapke vichar aap ki basha mei spast jhalak rahe hei
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